Shree Shiv Chalisa|Madhusmita|
हिन्दू धर्म की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव या महादेव को त्रिदेवों में स्थान प्राप्त है।शिव की आराधना स्त्री एवं पुरुष दोनों द्वारा की जा सकती है।अपनी इस प्रस्तुति में आज हम आपके लिए इन्हीं भगवान शिव को प्रसन्न करने वाले Shri Shiv Chalisa के lyrics लेकर आये हैं।अगर आप Monday Fast करतें हैं ,तो इस चालिसा के पठन-पाठन से आपको विशेष लाभ मिलेगा।
Shree Shiv Chalisa को पढ़ने और सुनने से आपको शारीरिक और मानसिक पीड़ा से छुटकारा मिलता है।और,इससे घर में समृद्धि आती है।कुंवारी लड़कियों द्वारा यदि,इसका पाठ विधिवत किया जाए तो,उन्हें,मन चाहे वर की प्राप्ति होती है।तो,लीजिए, पेश है,Shri Shiv Chalisa-lyrics और अब आप यहाँ से इसे mp3 format में सुन और download भी कर सकते हैं।
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|Lord Shiv|Image source-google| |
Download mp3 Shri shiv chalisa
Maker's of Shri shiv chalisa song
Singer- Madhusmita
Lyrics-Traditional song
Music-Agam ojha
Shri shiv chalisa lyrics in hindi
||ॐ त्रियम्बकम यजामहे||
||सुगंधिम पुष्टि वर्धनम||
||सुगंधिम पुष्टि वर्धनम||
||उर्वारुकमिव बंधनात ||
||मृत्युरमुक्षीय मामृतात||
||मृत्युरमुक्षीय मामृतात||
दोहा
जय गणेश गिरीजा सुवन
मंगल मूल सुजान
कहत अयोध्या दास तुम
देउ अभय वरदान
म्यूजिक
चौपाई
जय गिरिजा पति दीनदयाला
सदा करत संतन प्रतिपाला
भाल चंद्रमा सोहत नीके
कानन कुंडल नाग फनी के
म्यूजिक
अंग गौर सिर गंग बहाए
मुंड माल तन क्षार लगाए
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे
छवि को देखि नाग मन मोहे
नैना मातु के हवे दुलारि
वाम अंग सोहत छवि न्यारि
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी
करत सदा शत्रुन क्षयकारी
म्यूजिक
नंदी गणेश सोहे तह कैसे
सागर मध्य कमल है जैसे
कार्तिक,श्याम और गणराऊ
या छवि कोऊ, जात न काऊ
देवन जबहि जाय पुकारा
तबही दुख प्रभू आप निवारा
किया उपद्रव तारक भारी
देवन सब मिल्हि तुमहि जुहारी
म्यूजिक
तुरत षडानन आप पठायो
लव निमेष मह मार गिरायो
आप जलंधर असुर संघारा
सुयश तुम्हार विदित संसारा
त्रिपुरा सुर सन युद्ध मचाई
सबहि कृपा कर लीन बचाई
किया तपहि भगीरथ भारी
पुरउ प्रतिज्ञा तासु पुरारी
म्यूजिक
दानिन मह तुम सम कोउ नाही
सेवक स्तुति करत सदा ही
वेद नाम महिमा तब गईं
अकथ अनादि भेद नही पाई
प्रकटी, उदधि,मंथन में ज्वाला
जरत,सुरासुर भय विहाला
कीन्ह दया तह करि सहाई
नीलकंठ तब नाम कहाई
म्यूजिक
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा
जीत के लंक विभीषण दीन्हा
सहस कमल में हो रहे धारी
कीन्ह परीक्षा तब ही त्रिपुरारी
एक कमल प्रभु राखेऊ जोहि
कमल नयन पूजन चहु सोहि
कठिन भक्ति देखि प्रभु शंकर
भए प्रसन्न दिए इक्षित वर
जय जय अनंत अविनाशी
करत कृपा सबके घटवासी
दुष्ट सकल मोहे नित्य सतावै
भ्रमत रहु मोहे चैन न आवै
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो
यही अवसर मोहि आन उबारो
ले त्रिशूल शत्रुन को मारो
संकट ते मोहि आन उबारो
मातु पिता भ्राता सब होई
संकट में पूछत नहीं कोई
स्वामी एक है आस तुम्हारी
आय हरहु अब संकट भारी
धन निर्धन को देत सदाहि
जो कोई जांचे वो फल पाहि
स्तुति कहि विधि करहु तुम्हारी
क्षमहु नाथ सब चूक हमारी
म्यूजिक
शंकर हो संकट के नाशन
विघ्न विनाशन मंगल कारन
योगी अति मुनि ध्यान लगावै
नारद शारद शीश नवावै
नमो नमो जय नमः शिवाय
सुर ब्रह्मादिक पार न पाए
जो यह पाठ करे मन लाई
ता पर होत है,शम्भु सहाई
म्यूजिक
ऋणिया जो कोई हो अधिकारी
पाठ करे सौ पावनहारी
पुत्रहीन कर इक्षा जोई
निश्चय शिवप्रसाद ते ही होई
पंडित त्रियोदशी को लावै
ध्यान पूर्वक होम करावे
त्रियोदशी व्रत करे,हमेशा
तन नही ताके रहे कलेशा
म्यूजिक
धूप दीप नैवैद्य चढ़ावे
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे
जन्म जन्म के पाप नसावे
अंत धाम शिवपुर में पावे
कहे अयोध्या आस तुम्हारी
जानि सकल दुख हरहु हमारी
चौपाई समाप्त
दोहा
||नित्य नेम कर प्रातः ही
पाठ करो चालीस
तुम मेरी मनोकामना
पूर्ण करो जगदीश
मगसर छठ हेमंत ऋतु
सोवत चौसठ जान
स्तुति चालीसा शिवहि
पूर्ण कीन्ह कल्याण||
(शिव चालीसा समाप्त)
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सदा करत संतन प्रतिपाला
भाल चंद्रमा सोहत नीके
कानन कुंडल नाग फनी के
म्यूजिक
अंग गौर सिर गंग बहाए
मुंड माल तन क्षार लगाए
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे
छवि को देखि नाग मन मोहे
नैना मातु के हवे दुलारि
वाम अंग सोहत छवि न्यारि
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी
करत सदा शत्रुन क्षयकारी
म्यूजिक
नंदी गणेश सोहे तह कैसे
सागर मध्य कमल है जैसे
कार्तिक,श्याम और गणराऊ
या छवि कोऊ, जात न काऊ
देवन जबहि जाय पुकारा
तबही दुख प्रभू आप निवारा
किया उपद्रव तारक भारी
देवन सब मिल्हि तुमहि जुहारी
म्यूजिक
तुरत षडानन आप पठायो
लव निमेष मह मार गिरायो
आप जलंधर असुर संघारा
सुयश तुम्हार विदित संसारा
त्रिपुरा सुर सन युद्ध मचाई
सबहि कृपा कर लीन बचाई
किया तपहि भगीरथ भारी
पुरउ प्रतिज्ञा तासु पुरारी
म्यूजिक
दानिन मह तुम सम कोउ नाही
सेवक स्तुति करत सदा ही
वेद नाम महिमा तब गईं
अकथ अनादि भेद नही पाई
प्रकटी, उदधि,मंथन में ज्वाला
जरत,सुरासुर भय विहाला
कीन्ह दया तह करि सहाई
नीलकंठ तब नाम कहाई
म्यूजिक
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा
जीत के लंक विभीषण दीन्हा
सहस कमल में हो रहे धारी
कीन्ह परीक्षा तब ही त्रिपुरारी
एक कमल प्रभु राखेऊ जोहि
कमल नयन पूजन चहु सोहि
कठिन भक्ति देखि प्रभु शंकर
भए प्रसन्न दिए इक्षित वर
जय जय अनंत अविनाशी
करत कृपा सबके घटवासी
दुष्ट सकल मोहे नित्य सतावै
भ्रमत रहु मोहे चैन न आवै
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो
यही अवसर मोहि आन उबारो
ले त्रिशूल शत्रुन को मारो
संकट ते मोहि आन उबारो
मातु पिता भ्राता सब होई
संकट में पूछत नहीं कोई
स्वामी एक है आस तुम्हारी
आय हरहु अब संकट भारी
धन निर्धन को देत सदाहि
जो कोई जांचे वो फल पाहि
स्तुति कहि विधि करहु तुम्हारी
क्षमहु नाथ सब चूक हमारी
म्यूजिक
शंकर हो संकट के नाशन
विघ्न विनाशन मंगल कारन
योगी अति मुनि ध्यान लगावै
नारद शारद शीश नवावै
नमो नमो जय नमः शिवाय
सुर ब्रह्मादिक पार न पाए
जो यह पाठ करे मन लाई
ता पर होत है,शम्भु सहाई
म्यूजिक
ऋणिया जो कोई हो अधिकारी
पाठ करे सौ पावनहारी
पुत्रहीन कर इक्षा जोई
निश्चय शिवप्रसाद ते ही होई
पंडित त्रियोदशी को लावै
ध्यान पूर्वक होम करावे
त्रियोदशी व्रत करे,हमेशा
तन नही ताके रहे कलेशा
म्यूजिक
धूप दीप नैवैद्य चढ़ावे
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे
जन्म जन्म के पाप नसावे
अंत धाम शिवपुर में पावे
कहे अयोध्या आस तुम्हारी
जानि सकल दुख हरहु हमारी
चौपाई समाप्त
दोहा
||नित्य नेम कर प्रातः ही
पाठ करो चालीस
तुम मेरी मनोकामना
पूर्ण करो जगदीश
मगसर छठ हेमंत ऋतु
सोवत चौसठ जान
स्तुति चालीसा शिवहि
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